आधिकारिक व्याख्यान
मकर संक्रांति का पर्व चौदह जनवरी को मनाया जाएगा। इस दिन सूर्यदेव अपने पुत्र शनि की राशि में प्रवेश करेंगे। मकर संक्रांति भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। इसे मकर ज्योति या मघा महोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। मकर संक्रांति, जिसे धर्मिक और सांस्कृतिक माहौल के साथ मनाया जाता है, पूरे देश भर में बड़े हर्ष से मनाया जाता है।
जनार्दन शर्मा, जनपद भवन, रांची में आयोजित संवाद से इस महत्वपूर्ण पर्व के बारे में जानकारी मिली। संवाद में उन्होंने कहा, "मकर संक्रांति भारतीय पर्व गणतंत्र दिवस के तत्काल बाद ध्वनि प्रवृत्ति, स्वच्छता और खुशहाल जीवन के प्रतीक के रूप में माना जाता है।"
सूर्य के अनुयायी - धर्मिक महत्व
मकर संक्रांति का त्योहार धर्मिक और सांस्कृतिक संदेह और धारणाओं की दिशा में आता है। इसे सूर्य की प्रशंसा के लिए और उसकी उपासना के रूप में मनाया जाता है।
सूर्य देव का यह प्रतिष्ठान भारतीय संस्कृति में उत्तमता, परिपूर्णता और जीवन की ऊर्जा का प्रतीक है। इसके साथ ही, सूर्य की इस मुख्य देवता को संज्ञान करने का सामर्थ्य मकर संक्रांति को एक अद्वितीय महत्वपूर्ण सांस्कृतिक घटना बनाता है।
उत्सव की धाराएं - विविधता और प्रस्तावना
मकर संक्रांति का उत्सव देशभर में विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है। इसके उत्साही उद्यानों में पतंग उड़ाने से लेकर पूजा-अर्चना और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों तक इस त्योहार में प्राचीन परंपराएं बनी रहती हैं।
इस मौके पर महिलाएं सुनहरे रंग के साड़ी पहनकर खास तौर से सन्ध्या वेलेत और मंगल सूत्र पहनकर सूं सूं करती हैं। इस दिन लोग एवटे स्नान कर तीर्थ क्षेत्रों में स्नान करने निकलते हैं।
विशेष भोज और पारंपरिक भूषण
इस त्योहार पर खासतौर से गुड़ और तिल के लड्डू, गजक, तिल की मिठाई और पेठा जरूर बनाए जाते हैं और इन्हें परिवार के सभी सदस्यों के साथ साझा किया जाता है।
मकर संक्रांति के अवसर पर लोग पारंपरिक भूषणों जैसे के गहने, बिंदी, मेहंदी, आदि से सजते हैं और इस खास दिन को साथ मनाने के लिए एक-दूसरे को खास उपहार भी देते हैं।
परंपरागत सांस्कृतिक अनुष्ठान
मकर संक्रांति के इस पर्व को लोग धार्मिक, सांस्कृत, भाषा, और संस्कृति की एकता और अभिवादन का प्रतीक मानते हैं।
यह एक ऐसा समय है जब हमारे देश में हर तरफ एकता, समरसता, और सामंजस्य का पूरा माहौल महसूस होता है और सभी लोग मिलकर आनंद उमंग से इसे मनाते हैं।
भारतीय सांस्कृतिक विरासत के रूप में
Makar Sankranti, makar sankranti kab hai, Sankranti के इस त्योहार को भारतीय सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। इसे हमारी प्राचीन परंपराओं का प्रतिक होने के साथ-साथ, समृद्धि और शांति के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है।
इस दिन के उत्सव की सँकर (समाप्ति) एक नए सूर्य की किरणों के साथ नूतन जीवन के उमंग का प्रतीक है।
राष्ट्रीय स्तर पर मकर संक्रांति कैसे मनाया जाता ह।
भारत में अलग-अलग राज्यों में मकर संक्रांति को अलग-अलग नामों पर मनाया जाता है। उत्तर भारत में इसे 'लोहड़ी', 'बिहू', 'पोंगल' आदि नाम से जाना जाता है।
महाराष्ट्र में इसे 'तिळ गुड़' के नाम पर मनाया जाता है, जबकि आंध्र प्रदेश में इसे 'पोंगल' के नाम से जाना जाता है। खासकर दक्षिण भारत में इसे पौंगल के रूप में उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
अंतिम विचार
इस वर्ष के मकर संक्रांति पर्व पर हम भी मनाते हैं और हम इस भावना के साथ इसे शुरू करते हैं कि यह सभी के जीवन में समृद्धि, सुख, शांति और स्वास्थ्य की कामना से भरपूर हो।
मकर संक्रांति, makar sankranti kab hai, Sankranti के इस अद्वितीय और प्रेरणादायक पर्व के अवसर पर, हम एक-दूसरे के साथ जल्दी से उत्साहित होते हैं और यह मिलनसार समरसता के माहौल में हमें सुख संतृप्ति अर्पित करता है।
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